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बार्षिक लेखन प्रतियोगिता लघु कथा समझौता

           "मम्मी आप सभी को मैं इतनी बुरी लग रही थी जो आपने इतनी बड़ी बात मुझसे छुपाई।  मेरी जिंदगी का इतना बड़ा फैसला और आपने मुझसे सच्चाई छुपा कर रखी। कम से कम मुझसे एक बार तो पूछ लेते।  मै आपकी सगी बेटी  थी ऐसा तो कोई पराई  बेटी के साथ भी नहीं करेगा। "  संजना ने इतना बोल कर फोन काट दिया।


        आज वह बहुत गुस्से में थी उसने आज तक यही सुना था  कि सौत तो आटे की भी बुरी होती है। संजना की मम्मी बार-बार फोन करती रही परंतु उसने अपना फोन स्विच ऑफ कर दिया और अपने कमरे में जाकर अपनी तकदीर को कोसने लगी।

          संजना आज शादी होकर पहली बार ससुराल आई थी । घर में खुशियां मनाई जा रही थी सभी के चेहरों पर रौनक थी। और इस भीड़ में एक चेहरा ऐसा भी था अंदर से परेशान था।

             यह चेहरा गौरव की पहली पत्नी  का था। मुहल्ले की औरतै  आपस में बात कर रही थी कि सुशीला के जीवन में अब ग्रहण लग जाएगा। क्योंकि  उसकी सास तो पहले ही  उससे  खफा रहती थी अब नई बहू के आ जाने से बेचारी का जीना हराम कर देगी ।

        गौरव  अपने मां-बाप की अकेली संतान था।  उनके पापा गांव में रहते थे घर की जमीन करवाते थे।  गौरव  ने एमबीए की परीक्षा पास करके एक कंपनी में  जाँब करली।


                 गौरव की शादी के लिए कितनी ही लड़कियां देखी थी परंतु  कहीं बात बन नहीं पा रही थी क्यौकि गौरव की शर्त थी कि लड़की को गांव में मम्मी-पापा के साथ रहना होगा ।

         बहुत मुश्किल से एक लड़की  तैयार हुई थी और गौरव की मम्मी पापा ने आनन-फानन में गौरव की शादी कर दी ।शादी के बाद गौरव की पत्नी सुशीला गांव में रहकर सास-ससुर की सेवा करने लगी ।

               सुशीला  के सास ससुर उससे बहुत  खुश थे  सुशीला मां बनने वाली थी जिससे शसुशीला का दर्जा और बढ़ गया था परंतु जीवन में कब अनहोनी घट जाए इस बात को किसी का अंदाज नहीं होता ।
                      सुशीला के साथ भी ऐसा हुआ वह नहाते हुए बाथरूम में फिसल गई उसे गांव के डॉक्टर के पास ले जाया गया उस डॉक्टर ने फर्स्ट ऐड करके शहर ले जाने को कहा था ।

         सुशीला को शहर की लेडी डॉक्टर को दिखाया उसने बताया कि इसका गर्भपात हो गया है और भविष्य में कभी मां नहीं बन सकती है। उन्होंने दूसरी जगह भी चेक करवाया वहीं रिपोर्ट आई ।

            इस दुर्घटना के बाद सुशीला बहुत परेशान रहने लगी ईश्वर की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती।   एक दिन सुशीला ने सभी परिवार वालों से अपनी राय रखी कि गौरव की दूसरी शादी करवा दी जाए इससे परिवार को बारिश मिल सकता है ।

              और सभी की सहमति से गौरव की दूसरी शादी कर दी गई और उनके परिवार वालौ ने संजना के मम्मी पापा को सब बातें बता दी थी ।

           परन्तु उसके मम्मी पापा ने यह बात संजनाः को  नहीं बताई। संजना की  ससुराल में औरतों आपस में बात करने से उसें पता चली संजना अपने कमरे में अकेली बैठी हुई थी  ।तभी सुशीलाउसके कमरे में आई  और बोली मै आज गौरव को तुझे सौप रही हूँ इसका खयाल रखना।

                      संजना बोली दीदी उन पर पहला हक  आपका है और आपका ही रहेगा।  संजना की बात सुनकर सुशीला के दिल में खुशी हुई ।सुशीला ने अपने हाथों से सुहागरात वाले  कमरे को सजाया।

               संजना को गौरव के पास भेज कर अपने कमरे में आकर मायूस होकर सोचने लगी कि मैने ही स्वयं यह दिन देखा  है। वह सोचने लगी आज जो हो रहा है उसके लिए जिम्मेवार  वह स्वयं है।


            सौतन के नाम से  कोई भी औरत  परेशान हो जाती है मैने स्वयं सौतन बनना   स्वीकार किया है ।

              गौरव जब कमरे में आया वह आते ही बोला  ,"देखो संजना हमने तुमकहारे मम्समी पापा को सब बता दिया था। मै तुम्है भी बताना चाहरहा था परन्तु तुम्हारी मम्मी ने मुझसे कह दिया कि मै बता दूँगी। "

             संजना बोली ," नही उन्हौने  मुझे कुछ नहीं  बताया था। परन्तु अब इन बातों को करने से कोई फायदा तो नहीं हो सकता। क्योंकि  अब हमारी शादी हो चुकी है अब तो जो हुआ उससे दूर नहीं भाग सकते और जो हुआ है उसके साथ समझौता करना ही पड़ेगा। आगे हमें सब कुछ अपने कर्म के हिसाब से मिलता है इसलिए किसी को दोष देने का कोई फायदा नहीं है। "

               इसके बाद जब उसकी  मम्मी का फोन आया था। तब वह  मम्मी से बोली  " मम्मी आपने   मेरे साथ ऐसा क्यों किया आपने मुझे क्यौ नही बताया था । मैने अब  हालात से समझौता कर लिया है।

            तब उसकी मम्मी बोली," बेटी मै तुझे सब बताना चाहती थी परन्तु उसी समय तेरे पापा को दिल का दौडा़ आगया था और मैने नही बताया मुझे माँफ करना। "

                सशीला उसे बहुत प्यार करती थी। संजना भी उसको अपनी बहन जैसा आदर करती थी। परंतु उसकी सास का सुशीला के प्रति व्यवहार बदल गया था। इसलिए सुशीला अपने मा यके में ज्यादा रहने लगी थी ।

                 लेकिन संजना  ने गौरव से कहा कि आजकल  दीदी हम सब से दूर होती जा रही है आपको उन्हें समझाना चाहिए मैं नहीं चाहती कि मेरे कारण आप उनकी उपेक्षा करें वह आप की पहली पत्नी है जो मुझे उनसे कोई परेशानी नहीं है तो उनका ध्यान रखना  आपका दायित्व बनता है। 

            इसके बाद सुशीला व संजना एक दूसरे का ध्यान रखती थी।
संजना ने  बक्त के साथ समझौता कर लिया था उसने सुशीला को कभी सौतन नही समझा वह उसे बडी़ बहिन मानती थी। सुशीला भी उसका छोटी बहिन की तरह ध्यान रखती थी।

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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

10-Mar-2022 01:34 AM

बहुत ही बेहतरीन कहानी

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Naresh Sharma "Pachauri"

10-Mar-2022 05:31 PM

Bery very thanks

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Shaqeel

09-Mar-2022 11:38 AM

Good

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Naresh Sharma "Pachauri"

10-Mar-2022 05:31 PM

Very very thanks

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